Ayodhya Ram Mandir: ५०० वर्षों के संघर्ष के पश्चात् हिन्दुओ को उनका सबसे पवित्र स्थल श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya Ram Mandir) पर राम मंदिर बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आदरणीय सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि उस स्थान पर ही प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था और हमेशा से ही वहाँ मंदिर था। कई वर्षों से वहाँ पर लगातार पूजा होने के साक्ष्य भी मिले हैं। सबसे जरुरी बात यह कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी पाया गया कि अवैध बाबरी ढाँचा जिस जगह पर था
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली (BJP Delhi) के मुख्य नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने उन साक्ष्यों के बारे में बताया जिनके आधार पर फैसला राम मंदिर के पक्ष में दिया गया। उन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझने का प्रयास करते हैं।
वहाँ पर पहले से एक गैर-इस्लामिक ढाँचा था। अर्थात मस्जिद किसी खाली स्थान पर नहीं बनाई गयी थी। मस्जिद उस स्थान पर जबरन किसी गैर-इस्लामिक ढांचे के स्थान पर बनाई गयी थी। भाजपा दिल्ली (BJP Delhi) के नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने बताया फैसले के मुख्य आधार क्या-क्या थे? इस लेख में जाने इस केस की पूरी भूमिका और वह ठोस और अकाट्य साक्ष्य जिसकी सहायता से राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) का रास्ता प्रशस्त हुआ।
1. ASI GPR Survey Report:
भाजपा दिल्ली (BJP Delhi) के नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने बताया कि अयोध्या में सबसे पहले बाबर ने राममंदिर (Ayodhya Ram Mandir) की जगह पर अवैध बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) का निर्माण किया। बाबर (Babr) ने कोट रामचंद्र नामक गाँव में 2.77 एकड़ जगह में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया। जिस समय यह मस्जिद बनी तो गांव के लोगों ने विरोध किया। उनके परिस्थितियाँ प्रतिकूल होने के कारण उस विरोध को समर्थन नहीं मिला और मामला दब कर रह गया।
जब सुप्रीम कोर्ट में इस पूरे मामले की जाँच चल रही थी तो ASI रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि मस्जिद जिस जगह पर बानी है वहाँ पर पहले से एक गैर-इस्लामिक ढाँचा है। ASI GPR में अगर जमीन के नीचे ढाँचा दिख होता है तो उसमे दिख जाता है फिर उसी स्थान पर खुदाई होती है। इस सर्वे में बाबरी मस्जिद के नीचे जो ढांचा मिला वह गैर-इस्लामिक और किसी प्राचीन मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के होने का था। यहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा कमजोर हो गया कि मस्जिद किसी खाली स्थान पर बनाई गई थी।
2. भारत घूमने आने वाले अंग्रेज यात्रियों की किताबें
भाजपा दिल्ली (BJP Delhi) के नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने बताया कि 1857 के आस-पास एक और कमाल की घटना होती है कि कुछ अंग्रेज यात्री भारत भ्रमण के लिए आते थे। वह भारत घूमते और अपने यात्रा का वृत्तांत और अनुभव किताबों के माध्यम से साझा करते थे। उन्होंने अपनी किताब में अयोध्या (Ayodhya Ram Mandir) का भी जिक्र किया कि कैसे वहाँ पर पूजा होती थी। सर विलियम पोस्टर ने अपनी किताब Early Travels in India में लिखा था। इस किताब में मस्जिद के अंदर पूजा होने का और राम के बारे में भी जिक्र आता है। कोर्ट के अंदर इस किताब को एक लिखित सुबूत के तौर पर लिया गया।
3. Adverse Possession:
भाजपा दिल्ली (BJP Delhi) के नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने बताया कि Adverse Possession भी एक टर्म का अदालत के अंदर बहुत ज्यादा इस्तेमाल हुआ। हिन्दुओ ने कभी भी उस जगह पर पूजा करना कभी भी बंद नहीं किया। मस्जिद के बाहर चबूतरे पर ही मिट्टी डालकर पूजा करते रहे। लेकिन मुस्लिम समुदाय की ओर से कभी भी 1949 के बाद वहाँ नमाज नहीं पढ़ी गयी। कुरान और हदीस के अनुसार यदि कहीं किसी और धर्म का कार्यक्रम चल रहा हो तो आप उस जगह पर नमाज नहीं पढ़ सकते हैं।
लेकिन सनातन धर्म में ऐसी कोई भी वर्जना नहीं होती है। आप कहीं पर भी पूजा आराधना कर सकते हैं। इसी कारण हिन्दू समुदाय ने उस स्थान पर कभी भी पूजा करना बंद नहीं किया। यही चीज सुप्रीम कोर्ट में उनके पक्ष में चली गयी। मुस्लिमो को मायूसी हाथ लगी।
4. Cross-Examination Of Witness:
भाजपा दिल्ली (BJP Delhi) के नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने बताया कि राम मंदिर के पक्ष में निर्णय होने में सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ। सभी गवाहों से राम जन्मभूमि (Ayodhya Ram Mandir) के सम्बन्ध में घुमा-फिराकर प्रश्न करा गया। लेकिन सभी गवाहों में से कोई भी अपने बयान से डिगा नहीं। कोर्ट में जन्मभूमि के स्थान के बारे में सवाल पूछे जाने पर सभी ने यही कहा कि एक भी इंच इधर-उधर नहीं। जो जगह है वहीं पर रामलला का जन्म हुआ था। सभी साधुओं का अपने बयान पर कायम रहना भी एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ जिसने रामलला के मंदिर निर्माण में अपना योगदान दिया।
इस लेख में माध्यम से हमने वह सारे कारक बताये जिनके आधार पर आदरणीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के पक्ष में गया। भाजपा दिल्ली (BJP Delhi) के नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने इस महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डालकर ज्ञानवर्धन किया।