दिल्ली बीजेपी | BJP Delhi | भाजपा | भारतीय जनता पार्टी
दिल्ली के अंदर बीजेपी (BJP Delhi) एक प्रमुख राजनीतिक दल है। बीजेपी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में ज्यादा सफलता मिलती है। भारतीय जनता पार्टी का मूल भारतीय जनसंघ है। जिसको 1951 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने बनाया था। तब से लेकर अब तक पार्टी का सफर काफी शानदार रहा। और लगातार गुजरते चुनावों के साथ ही पार्टी का ग्राफ ऊपर की तरफ चढ़ता ही गया।
कभी मात्र 2 सांसदों की पार्टी कहलाने वाली बीजेपी (BJP Delhi) आज भारत ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। 303 सांसदों के साथ वर्त्तमान सरकार ने मोदी जी नेतृत्व में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2014 में 30 वर्षो के बाद पहली बार किसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत मिला।
बीजेपी दिल्ली (BJP Delhi) के प्रमुख नेताओं का परिचय
बीजेपी दिल्ली (BJP Delhi) के शीर्ष नेतृत्व के पास प्रतिभावान नेताओं की लम्बी सूची है। इन सभी का प्रभाव लोकसभा चुनावों में साफ तौर पर देखा जा सकता है। परन्तु विधानसभा चुनावों में पार्टी की अप्रत्याशित पराजय एक गंभीर चिंता का विषय है। लेकिन पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में अनुकूल परिणाम लाने के लिए प्रतिबद्ध और संघर्षरत है।
दिल्ली के अंदर भारतीय जनता पार्टी (BJP Delhi) का संगठन काफी मजबूत है। 50 प्रतिशत से अधिक जनाधार के साथ भाजपा चुनावी मैदान में जाने को तैयार है। शीर्ष स्तर से लेकर बूथ स्तर तक के सभी कार्यकर्ता पूरे उत्साह और क्षमता के साथ चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
बीजेपी दिल्ली के प्रमुख नेता:
प्रदेश अध्यक्ष – श्री वीरेंद्र सचदेवा
प्रदेश उपाध्यक्ष – श्री दिनेश प्रताप सिंह (शाहदरा), श्री गजेंद्र यादव (महरौली), श्री विष्णु मित्तल (नई दिल्ली), श्रीमती लता गुप्ता (शाहदरा), श्रीमती योगिता सिंह (दक्षिणी दिल्ली), श्रीमती सुनीता कांगड़ा (पश्चिमी दिल्ली), श्री विनय रावत (बाहरी दिल्ली)
प्रदेश महामंत्री – श्री हर्ष मल्होत्रा (नवीन शाहदरा), श्री योगेंद्र चांदोलिया (करोल बाग), श्रीमती कमलजीत सहरावत (नजफगढ़)
प्रदेश मंत्री – श्री हरीश खुराना (करोल बाग), सरदार इम्प्रीत सिंह बक्शी (मयूर विहार), सुश्री बांसुरी स्वराज (नई दिल्ली), श्री विनोद बछेती (मयूर विहार), श्री किशन वर्मा (नवीन शाहदरा), श्रीमती सारिका जैन (शाहदरा), श्रीमती सोना कुमारी (करोल बाग), श्री नरेश ऐरन (बाहरी दिल्ली)
प्रदेश कोषाध्यक्ष – श्री सतीश गर्ग
युवा मोर्चा – श्री सागर त्यागी (अध्यक्ष), श्री गौरव पराशर (महामंत्री), श्रीमती निघत अब्बास (महामंत्री), श्री सुमित त्यागी (महामंत्री)
महिला मोर्चा – श्रीमती ऋचा पाण्डे मिश्रा (अध्यक्ष), श्रीमती प्रियल भारद्वाज (महामंत्री), श्रीमती सरिता तोमर (महामंत्री), सुश्री वैशाली पौद्दार (महामंत्री)
ओबीसी मोर्चा – श्री सुनील यादव (अध्यक्ष)
लोकसभा चुनाव 2024 एवं आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी दिल्ली इकाई में कुछ आमूलचूल फेरबदल किया गया है। इसके तहत कुछ पदों पर नए चहरे देखने को मिल सकते हैं। विशेषकर लोकसभा चुनावों की दृष्टि से दिल्ली की सातों सीटे अति महत्वपूर्ण है जो कि फ़िलहाल भाजपा के कब्जे में है। और प्रयास रही रहेगा कि सातों सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी की जीत दर्ज हो।
भाजपा का दिल्ली विधानसभा का चुनावी सफर
बीजेपी को दिल्ली (BJP Delhi) के अंदर एक प्रमुख राजनीतिक दल का दर्जा हासिल है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने दिल्ली के अंदर सभी सीटें जीती हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित असफलता हाथ लगी है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई काफी मजबूत है और जनसमर्थन भी हासिल है।
दिल्ली विधानसभा भंग होने के बाद जब पहली बार 1993 में चुनाव हुए तो पार्टी को जीत मिली थी। लेकिन तब से लेकर अभी तक पार्टी राज्य में सत्ता हासिल नहीं कर पाई है। मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। उस चुनाव में भाजपा को 70 में से 49 सीटें मिली थी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब तक भाजपा को 1 बार, कांग्रेस को 4 बार और आम आदमी पार्टी को दो बार सफलता मिली है। लेकिन 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने अपनी पूरी मेहनत झोंक दी है। और इस बार के चुनाव में पार्टी कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। दिल्ली की जनता वर्तमान मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की कार्यप्रणाली से आजिज आ चुकी है।
एक के बाद एक लगातार उजागर हो रहे घोटाले से जनता के मन के काफी आक्रोश है। केजरीवाल सरकार के नामचीन मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री तक घोटाले के आरोप में सजा काट रहे हैं। करदाताओं के पैसे का उन्होंने काफी दुरुपयोग किया। जिसका खामियाजा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
दिल्ली के अंदर बीजेपी ने बहुत सारे प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं। जिसको राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा मिलकर संपन्न करना है। लेकिन हर बार यही देखने को मिलता है कि केजरीवाल सरकार के द्वारा फण्ड जारी नहीं करने से काम में रूकावट पड़ती है। और प्रोजेक्ट अपने तय समय पर पूरा नहीं हो पाता है।
केंद्र सरकार को योजनाओं को पूरा होने में रूकावट पैदा करना राज्य सरकार का मुख्य कार्य बन चुका है। आयुष्मान भारत जैसी योजना को भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में लागू नहीं किया। जबकि उनके मोहल्ला क्लीनिक की सच्चाई से पूरा देश वाकिफ है। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री का सारा फोकस इस पर है कि केंद्र सरकार की किसी भी योजना को दिल्ली में लागू न किया जाए।
इसलिए दिल्ली की जनता ने इस बार एक बेहतर विकल्प के रूप में भाजपा को सत्ता में वापस लाने का निर्णय लिया है। और आगामी विधानसभा चुनाव में अहंकारी केजरीवाल को सत्ता से बाहर करने का काम जनता करेगी। ताकि राज्य के साथ ही साथ जो भी केंद्र की लाभकारी योजनाएँ है वो राज्य की जनता तक सुगमता के साथ पहुँच सके।