दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics): जनता के मुद्दे, चुनाव

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इस लेख में हम दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। दिल्ली की जनता के रोज-मर्रा के मुद्दे और परेशानियों पर भी प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे। दिल्ली की जनता के प्राथमिक चुनावी मुद्दे क्या हैं? और किस पार्टी के घोषणा पत्र में उन मुद्दों का समाधान दिया गया है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अधिक समय शेष नहीं बचा है। ऐसे में जनता के अपने मुद्दे तय कर ही लिए होंगे। यहाँ की जनता को किन-किन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। और उनका समाधान क्या है? यह भी एक राजनीतिक दल के लिए विचार का विषय है।

यहाँ पर आपको दिल्ली की वर्तमान राजनीति और हर छोटी-बड़ी घटनाओं का अपडेट मिलता रहेगा। इस माध्यम से हम दिल्ली की जनता की प्रमुख समस्याएँ सरकार और जिम्मेदार लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे। ताकि उन समस्याओ का संज्ञान लेकर जिम्मेदार उसका यथासंभव निवारण कर सकें।

दिल्ली का ऐतिहासिक सन्दर्भ

दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ ही देश की राजधानी भी है। यहाँ के कुछ मामलों में केंद्र सरकार का सीधा प्रभाव रहता है। और कुछ पर राज्य सरकार का। जैसे पुलिस प्रशासन केंद्र सरकार के अधीन काम करती है। ऐसे में यहाँ की चुनी हुई सरकर को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होता है। विपक्षी दल की सरकार होने पर विकास कार्य में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जैसा कि हमने विगत वर्षों में पाया है कि राज्य की सरकार ने केंद्र की कुछ योजनाओं को लागू करने से साफ मना कर दिया था। और इसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ा था।

दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics) में पिछले कुछ चुनावों से एक साफ पैटर्न दिखाई दे रहा है। यदि लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो जनता की पहली पसंद भाजपा होती है। फिर यही जनता विधानसभा चुनाव में एकतरफा आम आदमी पार्टी को वोट करती है।

प्रमुख राजनीतिक घटनाएँ और उनके प्रभाव

जैसा कि आप सभी को पता है कि दिल्ली देश की राजधानी है। और यहाँ की राजनीतिक गलियारे में चर्चा का बाजार हमेशा ही गर्म रहता है। देश की नीतियों का निर्धारण यहीं से होता है। इसीलिए यहाँ की हर छोटी-बड़ी घटना पूरे देशभर में चर्चा का विशन बानी रहती है। दिल्ली की हर राजनीतिक घटना पूरे देश में अपना व्यापक प्रभाव छोड़ती है। जैसे अभी-अभी शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का जेल जाना पूरे भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस एक घटना ने देश की राजनीति में अपना व्यापक प्रभाव छोड़ा है। और दिल्ली की जनता अपने आप को केजरीवाल के द्वारा ठगा हुआ महसूस कर रही है।

दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics) में इस शराब कांड से केजरीवाल समेत पूरे विपक्ष को नुकसान होना तय है। क्योंकि अरविन्द केजरीवाल ने राजनीति में कुछ ही वर्ष पहले कदम रखा था। उनका सपना था कि देश में साफ-सुथरी राजनीति और ईमानदार सरकार देना। लेकिन वो अपने दोनों ही वायदों में पूरी तरह से फेल साबित हुए। एक तरफ दिल्ली की जनता वायु प्रदूषण से दो-चार हो रही थी और वो गोवा छुट्टियाँ मनाने चले गए थे। उसके बाद ये शराब घोटाले ने उनकी ईमानदारी की पूरी पोल-पट्टी खोल के रख दी है।

दिल्ली के प्रमुख राजनीतिक दल और नेता

दिल्ली में 1967 से लेकर 1992 तक विधानसभा भंग थी। 1993 में नई विधानसभा का गठन हुआ और प्रदेश में चुनाव कराए गए। जिसमे भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। लेकिन दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics) में इसके बाद भाजपा दिल्ली में कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है। इसके बाद शीला दीक्षित ने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली की कमान संभाली। उसके बाद कांग्रेस पार्टी का पतन प्रारम्भ हुआ और 2015 से आप आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।

और वो फ़िलहाल शराब घोटाले में जेल के अंदर बंद हैं। और वो वहीं जेल के अंदर से सरकार चलाने का दवा कर रहे हैं। भारतीय राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी वर्तमान मुख्यमंत्री को घोटाले के केस में जेल जाना पड़ा हो। ये उपलब्धि भी कट्टर ईमानदार होने का दावा करने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के खाते में गई है। जनता इस बार के विधानसभा चुनाव सहित लोकसभा चुनाव में इस बेईमानी का जवाब देगी। और इस आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी सरकार को उखाड़ कर फेंकने का काम करेगी।

दिल्ली की जनता के प्रमुख मुद्दे

दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics) और आर्थिक परिस्थितियाँ देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा थोड़ा भिन्न हैं। देश के अन्य राज्यों के राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण के अनुसार यहाँ की पृष्ठभूमि की समझाना मूर्खता होगी। अन्य राज्यों की तुलना में यहाँ पर गरीबी और बेरोजगारी उतनी बड़ी समस्या नहीं होती है। यहाँ के प्रमुख मुद्दे लोगों के जीवन यापन की गुणवत्ता, महंगाई, प्रदूषण, शहर की बढ़ती जनसँख्या आदि हैं। दिल्ली में लोग दूसरे राज्यों से आते हैं और यहीं पर रोजगार पाने के लिए संघर्ष करते हैं।

जिनको नौकरी इत्यादि मिल जाती है वो यहीं  पर रुक जाते हैं। और जिनको सफलता नहीं मिलती वो अपने गाँव को ओर वापस कुछ कर जाते हैं। तो जो लोग दिल्ली में रह रहे हैं वो कहीं न कहीं रोजगार तो प्राप्त कर ही चुके होते हैं। इसीलिए बेरोजगार यहाँ पर उतना बड़ा मुद्दा नहीं है। ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी कोई मुद्दा ही नहीं है लेकिन अन्य राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ तुलना करे तो स्थिति बेहतर प्रतीत होती है।

दिल्ली की राजनीति (Delhi Politics) में जनता के लिए प्रमुख मुद्दे जीवन यापन की स्थिति में सुधार है। दिल्ली की बढ़ती आबादी भी एक प्रमुख विषय है जिसके आधार पर दिल्ली की जनता वोट करती है।  बढ़ता हुआ प्रदूषण भी एक अहम् मुद्दा है, जिसका मुख्य कारण कहीं न कहीं बढ़ती आबादी भी है। पीने के लिए साफ पानी, महंगाई इत्यादि भी एक राजनीतिक दल के लिए कुछ विषय हैं। जिस पर यहाँ की जनता को रिझाया जा सकता है। मध्यम आय वर्ग के बच्चों के लिए कम पैसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं चिकित्सा की सुविधा भी दिल्ली की एक विशेष आवश्यकता है। ये दिल्ली की जनता के कुछ प्रमुख मुद्दे है।