BJP Delhi के नेता Ravi Tiwari ने बताया कि CM Nitish Kumar, Rahul Gandhi की किस बात पर भड़क गए और INDI गठबंधन छोड़ने का निर्णय लिया।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इस समय एक भूचाल सा आया हुआ है। CM Nitish Kumar ने RJD और Congress गठबंधन छोड़कर फिर से Bhartiya Janta Party (BJP) की ओर आ गए हैं और इस्तीफा सौंपकर फिर से बीजेपी विधायकों के समर्थन से नौवीं बार बिहार के सीएम के रूप में शपथ ली है। वैसे तो Nitish Kumar का इतिहास ऐसा ही रहा है जिसकी मिसाल मिलाना राजनितिक गलियारे में बड़े ही मुश्किल की बात है।
CM Nitish Kumar पर स्थायित्व की कमी का आरोप हमेशा ही लगता रहा है पिछले चार साल के अंतराल में उन्होंने तीसरी बार Bihar CM के रूप में शपथ ली है। वह किसी भी एक दल के साथ क्यों नहीं रहते और बार-बार पार्टी एवं गठबंधन क्यों बदलते रहते हैं। ऐसा कैसे हुआ की उन्होंने RJD के साथ नाता तोड़कर फिर से BJP के साथ जाने का निर्णय लिया और बिहार में नौवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। यह अचानक ही नहीं हुआ होगा कि उन्होंने गठबंधन तोड़ने का निर्णय लिया। इसके पीछे की पूरी पटकथा को इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करते है।
Nitish Kumar, INDI गठबंधन के अग्रणी नेताओं में से एक हैं। उन्ही के नेतृत्व में यह गठबंधन उभरा और एक वास्तविक शक्ल लेने ही जा रहा था कि INDI गठबन्धन के सृजनकर्ता ही NDA में चले गए। इस तरह से अब महागठबंधन का भविष्य भी अंधकार में ही है। Nitish Kumar ने Congress पर आरोप लगाते हुए कहा कि Congress क्षेत्रीय दलों को हड़पना चाहती है। ताकि किसी भी तरह से Congress यथास्थिति में जो दुष्चक्र में घिरी हुई है उससे बाहर निकलने के लिए वह क्षेत्रीय दलों को मोहरे की तरह इस्तेमाल करने की फिराक में है।
कांग्रेस का लक्ष्य इस महागठबंधन के सहारे अपनी पार्टी की नैया पार लगाने की है। जबकि इसके लिए उसे क्षेत्रीय दलों के वोटबैंक को हड़पना चाहती है। कांग्रेस आज भी 40 साल पहले के भारत में है, उसे आज भी लगता है कि भारत में उसका एकक्षत्र शासन है। वह क्षेत्रीय दलों को कभी महत्व नहीं देती है उनके साथ वह सिर्फ अपने कार्यकर्ता की तरह की व्यवहार करती है। कांग्रेस यह चाहती है कि सभी क्षेत्रीय दल उसे इशारों पर नाचे।
Congress पार्टी अपनी औकात भूल चुकी है, सिर्फ दो-तीन राज्यों को छोड़कर उसका जनाधार न के बराबर है। फिर भी वह स्वयं को सबका बॉस समझती है, और उसको लगता है उसके बिना भारत की राजनीति नहीं चल सकती है। Congress Leaders में यह दम्भ कूट-कूटकर भरा है, जो की किसी काम के नहीं है। उन्होंने आज तक कोई भी चुनाव नहीं जीता लेकिन अहंकार सबसे ज्यादा उन्ही में पाया जाता है। Congress Party को हर जगह से अस्वीकार किया जा रहा है लेकिन गठबंधन में उसे बराबर की सीटे और हिस्सेदारी चाहिए। यही व्यवहार उसने पश्चिम बंगाल में CM Mamta Banarjee के साथ किया।
कांग्रेस चाहती है कि जहाँ भी उसके युवराज नेता राहुल गाँधी की सभा हो उस राज्य के क्षेत्रीय दल कार्यकर्ता की भांति उनकी रैली में पहुँच जाये। ऐसा नहीं होने वाला है, जब तक कांग्रेस अपने रवैये में बदलाव नहीं लाती है किसी भी प्रकार का महागठबंधन सफल नहीं होने वाला है। CM Nitish Kumar ने आगे कहा कि INDI Alliance के सूत्रधार वही थे जबकि कांग्रेस इस गठबंधन के जरिये अपने निशाने साधना चाहती है। गठबंधन का प्रतिनिधित्व चुनने की बात आयी तो उसके लिए CM Nitish Kumar और CM Mamta Banarjee का नाम अन्य दलों ने सुझाया था जबकि कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे कर दिया।
CM Nitish Kumar आगे कहते हैं कि आज जितने भी क्षेत्रीय दल हैं वे सभी कांग्रेस विरोधी विचारधारा के रूप में ही सामने आये हैं। सभी क्षेत्रीय दल के शीर्ष नेता कभी कांग्रेस पार्टी का ही हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन कांग्रेस की कार्यशैली से दुखी होकर उन्होंने एक अलग ही दल बनाने का निर्णय लिया। इसलिए सभी पार्टिया कांग्रेस विरोधी लहर का ही नतीजा हैं। चाहे आप समाजवादी पार्टी, राजद, आम आदमी पार्टी या किसी भी अन्य क्षेत्रीय पार्टी को लें। इसलिए CM Nitish Kumar ने इस गठबंधन से बाहर निकलकर BJP के साथ जाने का फैसला लिया है।