बीजेपी के युवा नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आश्चर्यजनक निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। हम सभी को ज्ञात है कि आगामी लोकसभा चुनावो में ज्यादा समय नहीं बचा है। अब सनातन का अपमान और मुस्लिम तुष्टिकरण एक आम बात हो जाएगी। इसकी शुरुवात बिहार राज्य से हो चुकी है।
यहाँ पर तो तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी गयी हैं। पहले तो जातिगत जनगणना के आधार पर सभी सनातनियो को बाँट दिया गया है। हम यह मानते हैं कि जात-पात हिन्दू समाज का एक कड़वा सच है। इसे जितनी जल्दी हो सके खत्म किया जाना चाहिए परन्तु हमारे नेता इस प्रकार के हैं कि इसे समाप्त करने के बजाय वह अपना निजी हित साधने में लगे हैं।
शायद आज के समय की मांग ही यह हो चुकी है कि हिन्दुओ को जातियों में विभाजित करके रखो जिससे उनकी जनशक्ति बिखरी रहे। और राजनितिक दल मुस्लिमो के वोट से अपनी सरकार बनाते रहें। तभी तो जातिगत जनगणना के लिए सभी राजनितिक दल कमर कस कर खड़े हैं। उन्हें महंगाई बेरोजगारी जैसी समस्याओ से कोई सरोकार नहीं है। उन्हें सिर्फ सनातनी विभाजित चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि बिहार में तुष्टिकरण अपने चरम पर है। वोट की खातिर एक समुदाय विशेष को इतना सर आँखों पर चढ़ाया जा रहा है तथा दूसरे समुदाय के साथ निम्न कोटि के नागरिक की भांति व्यव्हार किया जा रहा है।
बीजेपी के युवा नेता रवि तिवारी (Ravi Tiwari) ने भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा है। उन्होंने कहा कि बिहार एक इस्लामिक रिपब्लिक बनने के कगार पर है या यूँ कहे कि लगभग बन चुका है। यदि समय रहते हिन्दू समाज नहीं चेता तो यह राजनैतिक गिद्ध हमें जातियों में बांटकर हिन्दुओ का अस्तित्व ही ख़त्म कर देंगे।
अब बिहार CM नीतीश कुमार अपने इस फैसले के कारण बैकफुट पर हैं। चौतरफा इनकी आलोचना हो रही है। उनके इस कदम को हिन्दू विरोधी एवं मुस्लिम तुष्टिकरण के रूप में देखा जा रहा है। बिहार के कैबिनेट मंत्री ने कहा है कि सरकार से गलती हुई है व इस फैसले पर पुनर्विचार किया जा रहा है। नीतीश कुमार का यह दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। इस फैसले से बिहार सरकार की अत्यधिक किरकिरी हो चुकी है।