Delhi Politics: भारतीय जनता पार्टी दिल्ली (BJP Delhi) के युवा नेता रवि तिवारी (youth leader Ravi Tiwari) ने केजरीवाल को वक्फ बोर्ड को 111 करोड़ रूपये की सहायता राशि देने के लिये लताड़ लगाई। आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi CM)अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक वीडियो में यह कहते हैं कि राम मन्दिर (Ram Mandir) का निर्माण असंवैधिानिक है। अपनी किसी पुरानी नानी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि राम किसी के मस्जिद के स्थान पर मन्दिर में नहीं जा सकते हैं। लेकिन उसी राम के मन्दिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करने पर कुछ नहीं बोलते हैं।
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली (BJP Delhi) के युवा नेता रवि तिवारी (youth leader Ravi Tiwari) ने बताया कि केजरीवाल को सनातन धर्म के प्रतीकों पर ही बहस करनी है। मन्दिर निर्माण उनको धन का अपव्यय लगता है। लेकिन वही केजरीवाल वक्फ बोर्ड को पिछले 7 साल में 111 करोड़ रूपये की सहायता दे चुके हैं। साल दर साल यह राशि बढ़ती ही जा रही है। मन्दिर, चर्च और गुरूद्वारे के लिये उनके पास कोई भी सहायता राशि नहीं है, बल्कि मन्दिरों का निर्माण तो उनके लिये एक सिरदर्द की भांति है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने वक्फ बोर्ड को जो भी सहायता राशि दी है, उसमें से पिछले 1 साल में ही 62 करोड़ रूपये दे दिये है। हर गुजरते साल के साथ उनकी वक्फ बोर्ड के साथ वफादारी और उनको दी जाने वाली सहायता राशि में वृद्धि होती जा रही है। एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा प्राप्त की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली (BJP Delhi) के युवा नेता रवि तिवारी (youth leader Ravi Tiwari) ने बताया कि जो भी राशि वक्फ बोर्ड को सौंपी गई है वह आम जनता की गाढ़ी कमाई है, इस पैसे को जनता के विकास में लगाया जाना चाहिये। लेकिन केजरीवाल ने अपनी राजनीति चमकाने और एक विशेष समुदाय का वोट अपने पाले में लाने के चक्कर में इस पैसे को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया गया। प्रतिवर्ष औसतन 14.50 करोड़ रूपए की सार्वजनिक राशि केजरीवाल ने वक्फ बोर्ड को सौंप दिया।
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली (BJP Delhi) के युवा नेता रवि तिवारी (youth leader Ravi Tiwari) ने बताया कि एक तरफ अरविन्द केजरीवाल कहते हैं कि नोट में गणेश भगवान और लक्ष्मी जी की मूर्ति होनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ गैरकानूनी तरीके से केजरीवाल पैसे को राजनीति करने के लिये और अपना चेहरा चमकाने में इस्तेमाल कर रहे हैं। नोटों पर भगवान की फोटो लगाने जैसा बयान देना महज चुनावी स्टंट है और हिन्दुओं के वोट को अपने पाले में लाने का एक प्रयास मात्र से अधिक कुछ भी नहीं है। नहीं तो जो भी पैसा जनता के विकास में खर्च होना था उसको वह इस तरह से वक्फ बोर्ड में बांटकर बर्बाद नहीं करते।