Ravi Tiwari ने बताया कि सारे Exit Poll और पूर्वानुमानों को धता बताते हुए बीजेपी और मोदी ने उम्मीदों के अनुरूप पांच में से तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़) में एकतरफा पूर्ण बहुमत से सरकार बनायीं है। एक दक्षिण के राज्य तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी अपने पांव पसारने में भी कामयाब हो गयी है।
आज भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश ने जातिवाद से ऊपर उठकर मतदान करना सीख लिया है। आज देश को जातिवाद के मकड़जाल से छुटकारा मिलता दिख रहा है। आज देश का युवा विकास और समृद्धि को ज्यादा महत्व दे रहा है। वह जाति के झंझट में नहीं पड़ रहा है। आज देश का जागरूक मतदाता यह चाहता है कि उसके चुने हुए जन प्रतिनिधि विकास की बात करें न कि हमें विभाजनकारी राजनीति के तहत बाँटने का काम करें। जातिवाद को बढ़ावा देकर कभी भी किसी का न भला हुआ है और न ही भला होगा।
जो जातिवाद की बातें करता है स्वयं उसके लिए भी यह खतरनाक है। क्योंकि आप जिस तरीके की बातें करेंगे फिर वही चीज आपके जीवन का अभिन्न अंग बन जाएँगी। आप पूरी तरह से उसी प्रकार के हो जायेंगे और अपनी पहचान को एक सीमा के अंदर उसी जाति तक संकुचित करके रह जायेंगे। जहाँ पर सीमा खींच दी जाएगी वही पर विकास यात्रा रुक जाएगी।
रवि तिवारी Ravi Tiwari ने आगे कहा कि इसीलिए वर्त्तमान समय की मांग है कि देश के सभी राजनेताओ को एकत्रित होकर यह दृढ़संकल्प लेना चाहिए कि आज से जाति या संप्रदाय को राजनीति का विषय नहीं बनाएंगे। राजनीति का विषय सिर्फ विकास और जनता की खुशहाली के मुद्दे ही होने चाहिए। जनता को जाति का दम्भ दिखाकर सिर्फ उनका ऊपरी तौर पर उनकी छाती चौड़ी कर सकते हो। लेकिन इसका दूरगामी लाभ कुछ भी नहीं है अपितु इसका सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही है।
आज देश के जिम्मेदार नेताओ को यह चाहिए कि वह विकास की बात करें और देश को समृद्धिशाली बनाने की राजनीति करें। आज देश का युवा अच्छी शिक्षा चाहता है, वह अच्छे और किफायती अस्पताल की उम्मीद करता है। देश की जनता चाहती है अच्छी और गुणवत्तापूर्ण सड़के हो। जिससे सड़क दुर्घटना में कमी आये। किसानो को उनकी फसल का सही दाम मिल सके। देश में भ्रष्टाचार एवं गरीबी का खात्मा हो।
रवि तिवारी Ravi Tiwari ने अंत में सामाजिक समरसता का सन्देश देते हुए कहा कि विकास और शिक्षा की बातें न करके हमारे नेता हमें एक झूठी पहचान देते हैं, जिसे जाति कहा जाता है। यह सब काम करने में बड़ी मेहनत लगती है। यह सब काम करने के लिए बहुत ही त्याग और समर्पण की आवश्यकता होती है। इसमें आपका एक नेता के तौर पर मूल्यांकन भी करा जा सकता है। लेकिन जातिवाद का जहर घोलने में कार्य काफी आसान हो जाता है। एक नेता के तौर पर यह जातिवाद, राजनीतिक ऊंचाई छूने के लिए काफी सुगम रास्ता है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे इन तथाकथित जनप्रतिनिधियों और नेताओ के लिए आँखे खोलने वाला प्रतीत होता है।