Ravi Tiwari BJP Delhi: दिल्ली वायु प्रदूषण और दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) परियोजना के लिए 415 करोड़ रुपये जारी न करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इस परियोजना का पूर्ण होना नितांत आवश्यक है। लेकिन दिल्ली सरकार अपने हिस्से का 415 करोड़ रुपये का बजट जारी ही नहीं कर रही है जिसके चलते परियोजना अटकी पड़ी है। अगर दिल्ली सरकार फण्ड जारी नहीं करती है तो मजबूरन हमें उनके विज्ञापन बजट से यह राशि वसूलनी पड़ेगी।
एक तरफ तो दिल्ली सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है। वायु प्रदूषण और जहरीली हवा को नियंत्रित करने का झूठा भ्रम फैला रही है। जनता की सच्ची हितैषी होने का झूठा दिखावा करती है। पर उसी जनता के लिए कहीं खड़ी होती नहीं दिख रही है। इस बुनियादी परियोजना के पूर्ण होने से प्रदूषण में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है। लेकिन इस परियोजना के पूर्ण होने में सबसे बड़ी रूकावट दिल्ली की निकम्मी केजरीवाल सरकार ही है। यदि बजट जारी कर दे तो काम आगे बढे जिससे जनता को थोड़ी राहत तो मिलती दिखाई दे।
विज्ञापन के लिए पूरा पैसा, जनता के काम के लिए ठेंगा?
जैसा की दिल्ली सरकार हमेशा से जोर देकर कहती रहती है वो ही एक सच्ची जनता की हितैषी पार्टी है। आप मुखिया अरविन्द केजरीवाल एक सच्चे और ईमानदार नेता होने का लगातार दावा करते दिखाई पड़ते हैं। लेकिन उनके दावों और जमीनी हकीकत में कोई भी मेल दिखाई नहीं पड़ता है। दिल्ली की भोली-भाली जनता आज अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रही है और हाथ मलती नजर आ रही है। यही ठगी का काम विगत वर्षो में केजरीवाल के द्वारा किया जा रहा है। परन्तु ईमानदारी का दावा पूरा है।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली का हाल किसी से भी छिपा नहीं है। प्रदूषण से उपजी जहरीली हवा से सारे दिल्लीवासियों में एक डर का माहौल है। साँस लेने में तकलीफ से लेकर कई अन्य बीमारियों को दावत देती यह जहरीली हवा मौत बनकर आई है। ऐसे में दिल्ली की जनता को राहत देने का काम दिल्ली के मुखिया को करना चाहिए था। लेकिन उन्हें लोगों की जान से ज्यादा कुर्सी से प्यार है। तभी तो उन्होंने अटकी परियोजना के लिए धन आवंटित करना उचित नहीं समझा। उन पैसो को विज्ञापन पर खर्च करना उन्हें ज्यादा कमाल का आईडिया लगा।
इस परियोजना के पूर्ण होने से दिल्ली वासियों को प्रदूषण से राहत मिलती। न इस साल सही अगले साल के लिए स्थिति थोड़ी तो अनुकूल होती। परन्तु दिल्लीवासियों का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि ऐसा मुख्यमंत्री गले पड़ गया।
दरअसल रैपिड परियोजना को लेकर फंड ना देने से सुप्रीम कोर्ट नाराज है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक हफ्ते के भीतर 415 करोड़ रुपये दे सरकार और अगर नहीं दिया तो दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग दे देंगे। इसके लिए बकायदा सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर नहीं दिया तो विज्ञापन बजट से पैसा दिया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।